उत्तराखंड में पहली बार मरीजों का रिकवरी रेट बढ़कर 80.60 फीसद पहुंच गया है। यही नहीं, मरीजों के दोगुने होने की अवधि भी 57.56 दिन हो गई है। हर दिन जितने नए मरीज सामने आ रहे हैं उससे ज्यादा डिस्चार्ज हो रहे हैं। अब तक कोरोना के 2984 मामले आए हैं, जिनमें 2405 स्वस्थ हो चुके हैं। गुरुवार को भी 37 नए मामले आए, तो 88 स्वस्थ होकर अपने घरों को लौट गए।
वर्तमान में 510 एक्टिव केस हैं। कोरोना पॉजिटिव 27 मरीज राज्य से बाहर जा चुके हैं। जबकि, 42 लोगों की मौत भी हो चुकी है। इनमें सहारनपुर निवासी 72 वर्षीय एक बुजुर्ग की गुरुवार को दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मौत हुई है। उन्हें 28 जून को अस्पताल में भर्ती किया गया था। बुजुर्ग मधुमेह, फेफड़ों की समस्या और हृदय रोग से भी पीड़ित थे। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार को 1242 सैंपल की जांच रिपोर्ट मिली है, जिनमें 1205 की रिपोर्ट नेगेटिव और 37 केस पॉजिटिव हैं। नैनीताल में सर्वाधिक 17 मामले आए हैं।
इनमें 13 पूर्व संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए हैं। तीन लोग दिल्ली से लौटे हैं, जबकि एक की ट्रेवल हिस्ट्री अभी पता नहीं लग पाई है। ऊधमसिंहनगर में भी 16 और मामलों में कोरोना की पुष्टि हुई है। इनमें दो लोग पूर्व में संक्रमित पाए गए व्यक्तियों के संपर्क में आए हैं। छह अन्य नोएडा, पांच दिल्ली और एक-एक व्यक्ति बिजनौर, कुवैत व दक्षिण अफ्रीका से लौटा है। अल्मोड़ा, पौड़ी और देहरादून में एक-एक व्यक्ति संक्रमित मिला है। यह सभी दिल्ली से लौटे लोग हैं।
रिकवरी रेट से मिली राहत
प्रदेश में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 15 मार्च को यहीं दर्ज किया गया और पहला कंटेनमेंट जोन भी यहीं बना। इसके बाद जमातियों के संक्रमण ने भी दून की व्यवस्थाओं को चुनौती दी। इस पर दून ने काबू पाया ही था कि प्रवासियों की आमद, निरंजनपुर सब्जी मंडी, एम्स ऋषिकेश में तेजी से बढ़े संक्रमण के मामलों ने नई परेशानी खड़ी कर दी।
हालांकि, अच्छी बात यह रही कि दून ने न सिर्फ इस सबका डटकर मुकाबला किया, बल्कि कोरोना को हर मोर्चे पर मात देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जून में संक्रमण का ग्राफ जहां अधिकतम 366 फीसद पर पहुंचा, वहीं मरीजों के ठीक होने की दर ने रिकॉर्ड 1350 फीसद का आंकड़ा छू लिया।