शहीद जगदीश पुरोहित को नम आखों से दी अंतिम विदाई

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उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल चमोली जिले के गंडासू गांव निवासी शहीद जगदीश पुरोहित के अंतिम संस्कार में शामिल हुए। उन्होंने पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित किए। शहीद को उनके पैतृक घाट पर सैनिक सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गयी। कहा कि शहीद की शहादत ब्यर्थ नहीं जाएगी। देश सदैव उनका ऋणी रहेगा। शहीद जगदीश पुरोहित के फौजी पिता से विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द अग्रवाल ने मुलाकात की। ढाढस बधाया। शहीद जगदीश पुरोहित को गणतंत्र दिवस के दिन अंतिम विदाई दी गयी। उनके फौजी पिता गोविंद प्रसाद पुरोहित, भाई और सैन्य अधिकारियों समेत भारी संख्या में लोगों ने शहीद को नमन किया। पाकिस्तान की तरफ से हुई गोलीवारी में चमोली के जगदीश पुरोहित घायल हो गए थे। बाद में उपचार के दौरान राजौरी सेना अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गयी थी।

पार्थिव शरीर सेना के विशेष विमान से गुरुवार को जिला मुख्यालय गोपेश्वर में पहुंचा था। उधर, पिता गोविंद प्रसाद पुरोहित जो सेवानिवृत फौजी का कहना है कि सीमा पर पाकिस्तान सेना की गोली से जाने कितने सैनिक शहीद हो गये हैं। उनमें मेरा बेटा भी शामिल हो गया। यही हालत रहे तो जाने कितने और शहीद होंगे। पाकिस्तान को उसकी ही भाषा में जबाव देना चाहिए, जैसा इंदिरा जी ने किया था। मोदी जी को इंदिरा जी से प्रेरणा लेनी चाहिए। उधर, गंडासू गांव में मातम पसरा है। पिता के अनुरोध पर शहीद के पार्थिव शरीर को पहले उनके गांव ले जाया गया, जो सड़क से एक किमी दूरी पर है।

पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए

शहीद जगदीश पुरोहित का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर सेना के विशेष विमान से बाहर ससम्मान गढ़वाल राइफल्स और गढ़वाल स्काउट के जवानों अधिकारियों को उतार कर कंधे पर रखा तो स्टेडियम जहां पर यह विमान उतरा हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों ने पाकिस्तान विरोधी नारे व जगदीश अमर रहे के नारे लगाये तो पूरा नगर गुंजायमान हो गया। पूरा नगर पाकिस्तान के विरोध में गुस्साया नजर आया।

1971 की लडाई लड़ चुके है शहीद के पिता

शहीद जगदीश पुरोहित के पिता 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए युद्ध में भारत की सेना के सिपाही के रूप में जंग जीत चुके है। कहा कि 71 की लडाई में हमने पाकिस्तान में अंधेरा मचा दिया था। ऐसा सैन्य बल हमारा है। कहा कि यदि पाकिस्तान को सबक न सीखाया गया तो न जाने कितने लोग सीमा पर शहीद होंगे।

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