चुनाव परिणामों के रुझान को देखें तो बीजेपी की हार में भी उसकी जीत दिखाई देती है क्योंकि बीजेपी सरकार से नाराज लोगों ने सीधे कांग्रेस को वोट न देकर दूसरे विकल्पों पर भी विचार किया है. बीजेपी के वोट प्रतिशत में भी कोई खास अंतर नहीं आया है और न ही वह कांग्रेस के वोट प्रतिशत से बहुत पीछे है.
राजस्थान में बीजेपी को सम्मानजनक सीटें
राजस्थान में कुल 200 सीटें हैं, इसमें से 199 सीटों पर चुनाव हुए थे. एक उम्मीदवार की मौत हो जाने के कारण 1 सीट पर मतदान नहीं कराया जा सका था. ताजा आंकड़ों के मुताबिक कांग्रेस और उसके साथी 101 सीटों पर आगे हैं. वहीं, बीजेपी 74 सीटों पर आगे चल रही है. राजस्थान में 24 सीटों पर निर्दलीय और छोटी पार्टियों के उम्मीदवार आगे हैं जिससे तय है कि बीजेपी से नाराजगी वाले सारे वोट कांग्रेस को ट्रांसफर नहीं हुए हैं. अगर ऐसा होता तो कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिल सकता था.
दूसरा, ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि राजस्थान में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो जाएगा, वैसा भी होता नहीं दिख रहा है. रुझानों को देखकर तो ऐसा लग रहा है कि अगर पार्टी ने वसुंधरा का साथ दिया होता तो तस्वीर थोड़ी और बेहतर होती. मोदी अपनी जनसभाओं में कांग्रेस, राहुल, नीम कोटेड यूरिया की बात करते रहे, लेकिन वसुंधरा के नाम से परहेज किया. अमित शाह ने तो भरे मंच से कह दिया था कि वसुंधरा आपने काम किया है, लेकिन अपना काम बता नहीं पाईं. राजस्थान में कांग्रेस को सीटें भले ही ज्यादा मिलती दिख रही हैं, लेकिन दोनों के वोट प्रतिशत में मामूली अंतर है. कांग्रेस को 39.2 फीसदी मत मिले हैं वहीं बीजेपी को 38.5 फीसदी वोट मिले हैं.
मध्य प्रदेश में कांटे की लड़ाई
मध्य प्रदेश में कुल 230 सीटें हैं. रुझान में कभी कांग्रेस आगे हो जा रही है कभी बीजेपी. यहां दोनों को तकरीबन बराबर सीटें मिलती दिख रही हैं. शिवराज का दावा है कि सरकार वही बनाएंगे, जबकि कांग्रेस को लगता है वह सरकार बनाने में सफल होगी. लेकिन इतना तय है कि यहां बीजेपी अपना किला बचाने में कामयाब रही है. फिलहाल, वोट प्रतिशत को देखा जाए जो बीजेपी को 41.4 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं, वहीं कांग्रेस को 41.1 फीसदी वोट मिल रहे हैं. दोनों को 110-110 सीटें मिलती दिख रही हैं यहां भी अन्य 10 सीटों पर आगे हैं. बीएसपी को 3 और सपा को 1 सीट मिलती दिख रही है. यहां यह स्पष्ट है कि एंटी इनकैंबेसी का पूरा लाभ कांग्रेस नहीं ले पाई. अगर बसपा, सपा, गोंडवाना विकास पार्टी को साथ लिया गया होता तो कांग्रेस को बहुमत से बहुत ज्यादा सीटें मिल सकती थीं.
असली नुकसान छत्तीसगढ़ में
अगर नुकसान का आकलन किया जाए तो बीजेपी को सबसे तगड़ा झटका छत्तीसगढ़ में लगा है. 3 बार से सत्ता में रही बीजेपी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है. वोट प्रतिशत में भी कांग्रेस ने यहां पर बीजेपी को बहुत पीछे छोड़ दिया है. यहां कांग्रेस को 66 सीटें मिलती दिख रही हैं तो बीजेपी 16 सीटों पर सिमटती दिख रही है. कांग्रेस को यहां 43.6 फीसदी वोट मिल रहे हैं तो वहीं बीजेपी को 32.1 फीसदी वोट. लेकिन यहां का वोट प्रतिशत यह दर्शाता है कि लोगों ने बीजेपी को एकदम से नकारा नहीं है.
तेलंगाना में महागठबंधन बेमतलब
तेलंगाना विधानसभा चुनाव में TRS ने शानदार वापसी की है. यहां पर सभी सीटों 119 के रुझान आ चुके हैं. टीआरएस यहां 86 सीटों पर आगे है. तेलुगूदेशम और कांग्रेस ने यहां मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस को यहां 20 सीटें ही मिलती दिख रही हैं. बीजेपी यहां खाता खोलती दिख रही है और उसे देलगूदेशम के बराबर 2 सीटें मिलती दिख रही हैं. यहां बीजेपी को 6 प्रतिशत वोट मिल रहे हैं. हालांकि बीजेपी को पहले यहां 5 सीटें थीं.
मिजोरम में कांग्रेस को मामूली सीटें
पूर्वोतर राज्यों में कभी कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था, लेकिन मिजोरम में कांग्रेस को केवल 4 सीटें मिलती दिख रही हैं. मिजो नेशनल फ्रंट को यहां 39 पर हुए चुनाव में 18 सीटें मिलती दिख रही हैं. भारतीय जनता पार्टी भी यहां एक सीट पर आगे है. वहीं, कांग्रेस को 1 सीट मिलती दिख रही है. ऐसे में यहा माना जा रहा है कि इस राज्य में न बीजेपी का कोई खास हस्तक्षेप रह जाएगा और न ही कांग्रेस का. यहां कांग्रेस का वोट प्रतिशत 30.3 फीसदी है तो बीजेपी को लगभग 7.9 फीसदी मत ही मिल पाए हैं.