नगर निगम के हर वार्ड को विकास कार्यों के लिए मिलेंगे 20 लाख रुपये

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नगर निगम दून की पहली बोर्ड बैठक में सौ वार्डों के विकास का खाका खींचा गया। अगले एक साल में विकास कार्यों पर प्रत्येक वार्ड 20-20 लाख रुपये यानी 20 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। धनराशि में वृद्धि को लेकर जमकर हंगामा हुआ व नए इलाकों के पार्षद इसे बढ़ाने की मांग करते रहे। इतना ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों के पार्षदों व शहरी पार्षदों में जमकर जुबानी जंग भी हुई, लेकिन महापौर सुनील उनियाल गामा ने कहा कि सभी वार्ड अब शहरी क्षेत्र का हिस्सा हैं और सभी वार्ड में एकसमान रूप से कार्य कराए जाएंगे।

नया बोर्ड चुने जाने के तीन महीने बाद गुरुवार को बुलाई गई पहली बोर्ड बैठक में पहले ही हंगामे के आसार बने हुए थे। शहर की लचर सफाई व्यवस्था और खराब स्ट्रीट लाइटों का मुद्दा तो उठना तय माना जा रहा था, इसके साथ ही शहर में मिलाए गए 72 गांवों में जनसुविधाओं का अभाव भी बड़ा मुद्दा था। सुबह साढ़े ग्यारह बजे बैठक शुरू होते ही ये मुद्दे गरमाने लगे। हालांकि, इससे पहले सभापति एवं महापौर सुनील उनियाल गामा की ओर से पुलवामा आतंकी हमले व फिर जम्मू में मुठभेड़ में शहीद सैन्य जवानों को श्रद्धांजलि देने का प्रस्ताव लाया गया।

सदन ने श्रद्धांजलि दी और दो मिनट का मौन रखा। फिर राष्ट्रगान के बाद सदन की कार्रवाई शुरू हुई। निगम अधिकारियों की लापरवाही कार्यप्रणाली पर पार्षदों ने सवाल दागने शुरू हुए व हंगामा बढ़ गया। कांग्रेसी पार्षदों ने आरोप लगाया कि बोर्ड बैठक में लगने वाले प्रस्तावों की उन्हें जानकारी नहीं दी गई। नए इलाकों में सफाई व स्ट्रीट लाइट की कोई व्यवस्था न होने पर क्षेत्रीय पार्षदों ने हंगामा करते हुए निगम प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया।

महापौर गामा किसी तरह पार्षदों को शांत करते रहे। बैठक में विधायक उमेश शर्मा काऊ व खजानदास पहले चरण में मौजूद रहे, जबकि दूसरे चरण में विधायक विनोद चमोली व गणेश जोशी ने महापौर का साथ निभाया। ग्रामीण क्षेत्र के पार्षदों का आरोप था कि उनके यहां का बजट डेढ़ साल से राज्य वित्त आयोग में फंसा हुआ था। यह करीब 12 करोड़ रुपये है। आरोप रहा कि निगम इस बजट को शहर के पुराने वार्डों पर खर्च कर रहा है, जबकि नियमानुसार ये बजट सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों पर ही खर्च किया जा सकता है। विधायक काऊ ने भी बजट ग्रामीण वार्डों में ही खर्च करने का समर्थन किया।

बजट को लेकर ग्रामीण पार्षदों की शहरी पार्षदों से हुई तनातनी

ग्रामीण पार्षद अपने क्षेत्रों के लिए 50-50 लाख का बजट देने की मांग कर रहे थे, लेकिन महापौर ने इसमें असमर्थता जताई। इस बजट को लेकर ग्रामीण पार्षदों की शहरी पार्षदों से तनातनी भी हुई। शहर के पार्षद पूरा बजट गांवों में देने के विरोध में थे। उनका कहना था कि अब सब क्षेत्र शहर का हिस्सा हैं, इसलिए एकसमान रूप से बजट दिया जाए। यह भी तय हुआ कि जो 20-20 लाख का बजट मंजूर हुआ है, वह पार्षदों के जरिए खर्च होगा। इस बजट से सफाई, नाली निर्माण, गली निर्माण जैसे कार्य किए जाएंगे।

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