बुधवार को केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद से जुड़े दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए हैं। सरकार ने कहा कि गोपनीयता कानून की अनदेखी कर चोरी गए दस्तावेजों के आधार पर एक अखबार ने रिपोर्ट प्रकाशित की जो अदालत की अवमानना है।
केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि सौदे से संबंधित दस्तावेज सार्वजनिक करने वाले सरकारी गोपनीयता कानून के तहत और न्यायालय की अवमानना के दोषी हैं। राफेल सौदे पर एक अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट पर उन्होंने कहा कि इस चोरी की जांच की जा रही है लेकिन अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अखबार ने दस्तावेज के शीर्ष पर लिखा ‘गोपनीय’ शब्द हटाकर इन्हें प्रकाशित किया है। उन्होंने कहा कि राफेल मामला रक्षा खरीद से संबंधित है जिसकी न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है। इसलिए वह अदालत से मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिका खारिज करने का अनुरोध करते हैं।
देश की रक्षा के लिए राफेल विमानों की जरूरत
पिछले सप्ताह पाकिस्तान के साथ वायु क्षेत्र में हुई झड़प का जिक्र करते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि एफ-16 लड़ाकू विमानों के हमले से देश की रक्षा के लिए राफेल विमानों की जरूरत है। राफेल विमानों के बगैर हम उनका प्रतिवाद कैसे कर सकते हैं?
प्रषांत भूषण ने सुनवाई के दौरान पक्ष रखते हुए कहा कि यदि महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाया नहीं गया होता तो न्यायालय ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और जांच कराने के लिए दायर याचिकायें खारिज नहीं की होती। बता दें कि 14 दिसंबर, 2018 को राफेल पर आए फैसले के खिलाफ यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने संयुक्त रूप से पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।