मंत्रिमंडल ने कोरोना संकट में सरकारी, अर्द्धसरकारी, सहायता प्राप्त शिक्षण व प्राविधिक शिक्षण संस्थाओं के शिक्षण व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के भत्तों में कटौती के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। इसके स्थान पर मुख्य सचिव और उनसे नीचे सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के हर माह वेतन में से एक दिन के वेतन की कटौती कर उसे मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किया जाएगा। यह कटौती चालू वित्तीय वर्ष तक जारी रहेगी। राज्य सरकार के सभी 90 से ज्यादा दायित्वधारियों के मासिक वेतन (मानदेय) में से पांच दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा होगा। पेंशनरों की पेंशन में किसी भी प्रकार कटौती नहीं की जाएगी। उधर, मंत्रिमंडल के फैसले के बाद कार्मिकों और दायित्वधारियों के वेतन में कटौती के आदेश वित्त सचिव अमित नेगी ने जारी कर दिए।
बैठक में 16 बिंदुओं पर हुई चर्चा
शुक्रवार को त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल की सचिवालय में आयोजित बैठक में 16 बिंदुओं पर चर्चा हुई। इनमें से चार बिंदुओं को स्थगित किया गया। सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने मंत्रिमंडल के फैसलों को ब्रीफ किया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की आमदनी गिरने की वजह से कर्मचारियों को दिए जा रहे भत्तों में कटौती के वित्त के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। उत्तर प्रदेश की तर्ज पर कर्मचारियों के भत्तों में कटौती से गुरेज करते हुए मंत्रिमंडल ने इसे खारिज कर दिया।
बताया कि सरकार कार्मिकों के विभिन्न भत्तों पर हर महीने 63.11 करोड़ खर्च कर रही है। इसमें सबसे अधिक मकान किराया भत्ते पर 44.09 करोड़, पर्वतीय विकास भत्ता मद में 5.29 करोड़ व सीमांत क्षेत्र भत्ता मद में 1.32 करोड़, सचिवालय भत्ता मद में 50 लाख रुपये, पुलिस कार्मिकों को अनुमन्य प्रोत्साहन भत्ते की मद में 66.55 लाख समेत अन्य भत्तों पर प्रतिमाह 13.04 करोड़ का खर्च बैठ रहा है। काबीना मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के सार्वजनिक निगमों-उपक्रमों के कर्मचारियों के मासिक वेतन से एक दिन का वेतन काटा जाएगा।