टिहरी झील महोत्सव में शिरकत नहीं करेंगे पर्यटन एवं सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज

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मंगलवार से शुरू हो रहे टिहरी झील महोत्सव के उद्घाटन में पर्यटन एवं सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज शिरकत नहीं करेंगे। महाराज ने कहा कि चमोली जिले में आई आपदा में जान-माल की क्षति से वह आहत हैं। इसी के दृष्टिगत उन्होंने इस महोत्सव में भाग न लेने का फैसला लिया है। उधर, महोत्सव के उद्घाटन से पहले महाराज के इस निर्णय से सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाएं भी हैं।

ऋषिगंगा और धौलीगंगा के उफान से जानमाल को हुआ भारी नुकसान

मंगलवार को टिहरी झील महोत्सव का उद्घाटन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों होना है। इसमें पर्यटन एवं सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज को भी भाग लेना था। इस बीच सोमवार को कैबिनेट मंत्री महाराज ने बयान जारी कर कहा कि चमोली जिले में ऋषिगंगा और धौलीगंगा के उफान से जानमाल को भारी नुकसान हुआ है। इस त्रासदी में कई लोग हताहत हुए हैं, जबकि कई टनल में फंसे हैं। अभी भी टनल से शवों के मिलने का सिलसिला जारी है।

महाराज ने आपदा में दिवंगत व्यक्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि प्रदेश भाजपा ने भी 20 फरवरी तक के अपने सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं। महाराज ने कहा कि वह स्वयं भी इस त्रासदी से व्यथित हैं। इसीलिए वह टिहरी झील महोत्सव में भाग नहीं लेंगे।

गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने दिल्ली में स्वास्थ्य एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डा. हर्षवर्धन से मुलाकात कर उत्तराखंड में प्रादेशिक मौसम केंद्र की स्थापना के लिए कदम उठाने का आग्रह किया।सांसद रावत ने कहा कि आपदा और अतिवृष्टि के दृष्टिकोण से पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र बहुत संवेदनशील है। इस क्षेत्र के अंतर्गत उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हैं, जिनकी भौगोलिक परिस्थितियां और जलवायु समान हैं।

उत्तराखंड के लिहाज से देखें तो यह प्रदेश आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और यहां अक्सर आपदाएं आती रहती हैं। उन्होंने कहा कि इन सब परिस्थितियों को देखते हुए मौसम के सटीक पूर्वानुमान के मद्देनजर देहरादून में प्रादेशिक मौसम केंद्र स्थापित किया जाना अत्यंत लाभकारी होगा। सांसद रावत ने लैंसडौन क्षेत्र में डाप्लर राडार की स्थापना के लिए केंद्रीय मंत्री के प्रति आभार भी व्यक्त किया।

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