उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) के संरक्षक त्रिवेंद्र सिंह पंवार व बीडी रतूड़ी के नेतृत्व में कूच कर रहे कार्यकर्ताओं ने कहा कि राज्य के बुनियादी सवालों को लेकर उक्रांद हमेशा संघर्षरत रहा है। प्रदेश का अस्सी फीसद भू-भाग पर्वतीय है। इसलिए यूकेडी पूर्व से ही मांग करता आया है कि राज्य की विस सीटों पर परिसीमन क्षेत्रफल के आधार पर किया जाए।
उन्होंने उदाहरण दिया कि हिमाचल प्रदेश में भी लाहौल स्पीति विधानसभा महज 25 हजार की जनसंख्या पर बनी है। वहीं लद्दाख लोकसभा की जनसंख्या मात्र 50 हजार है। क्योंकि, इनका आधार क्षेत्रफल/भौगोलिक लिया गया है। पूर्वोत्तर राज्यों में भी परिसीमन भौगोलिक आधार पर किया जाता है, लेकिन उत्तराखंड में ऐसा नहीं किया जा रहा है।
पहाड़ी राज्य का खत्म हो जाएगा औचित्य
उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में राज्य का परिसीमन जनसंख्या के आधार पर किया गया था इससे पर्वतीय क्षेत्र की छह विस सीटें कम हो गई और इन्हें मैदानी जनपदों में जोड़ दिया गया। कहा कि आगामी 2026 में पूरे देश में वर्ष 2021 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन होना है। यदि राज्य में जनसंख्या के आधार पर परिसीमन होता है तो पर्वतीय भू-भाग की 15 से 18 विस सीटें कम हो जाएंगी और पहाड़ी राज्य का औचित्य ही खत्म हो जाएगा। उन्होंने मांग की है कि राज्य की विधानसभा इस बावत प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय चुनाव आयोग को भेजे।