हरिद्वार में भाजपा ने बिछानी राजनीतिक बिसात

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पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार के सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पहले उत्तर प्रदेश और उसके बाद उत्तराखंड की सियासत में वह अहम भूमिका निभा रहे हैं। साहित्यिक छवि के साथ-साथ नम्र व्यवहार ने उनकी सियासी पूंजी को बढ़ाने का काम किया है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तराखंड की सभी 5 लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। निशंक पर इन पांचों सीट पर भाजपा की पकड़ बनाए रखने का दारोमदार होगा।

राज्य की हरिद्वार सीट कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा के पाले में रहीं लेकिन इस बार ऐसा न हो इसके लिए भाजपा ने राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी है जबकि दूसरी ओर कांग्रेस ने भी कमर कस ली है। दोनों ही पार्टियां अपना दमखम झोंकने में जुटी हैं।

भाजपा में निशंक के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2009 में प्रबल दावेदारों को दरकिनार कर निशंक को मुख्यमंत्री बनाया गया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में कई दावेदारों के बीच अंत में निशंक को हरिद्वार से उम्मीदवार बनाया गया और उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की पत्नी को हराया।

संघ नेताओं से निशंक की नजदीकियां

संसद में सवाल करने, जनसंपर्क के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं से तालमेल बनाने के साथ-साथ निशंक सोशल मीडिया पर भी खासे सक्रिय रहते हैं। भाजपा के बड़े नेताओं के साथ ही संघ नेताओं से निशंक की नजदीकियां हैं। डॉ. निशंक 2009 से 2011 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उनके कार्यकाल में उत्तराखंड ने सर्वश्रेष्ठ आर्थिक प्रदर्शन किया है, जो कि नीति आयोग की रिपोर्ट में भी दर्ज है।

डॉ निशंक को बचपन से ही कविता और कहानियां लिखने का शौक रहा। उनका पहला कवता संग्रह 1983 में समर्पण प्रकाशित हुआ। अब तक 10 कविता संग्रह, 12 कहानी संग्रह, 10 उपन्यास, 2 पर्यटन ग्रंथ, 6 बाल साहित्य, 2 व्यक्तित्व विकास समेत कुल 4 दर्जन से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनका नाम राष्ट्रकवियों की श्रेणी में शामिल है। उनके साहित्य को चेन्नई तथा हैंबर्ग विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया है।

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