भाजपा और जदयू के बीच बढ़ती दूरियों के कयासों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही किया खारिज

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बिहार में एनडीए सरकार के दो सबसे प्रमुख दलों भाजपा और जदयू के बीच बढ़ती दूरियों के कयासों को खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही खारिज कर दिया है। हाल के दिनों में कई ऐसी घटनाएं हुईं और उसके बाद भाजपा-जदयू के नेताओं की ओर से ऐसे बयान दिए गए, जिससे लगा कि दोनों दलों में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। विपक्षी दल राजद और कांग्रेस इसे अपने लिए मौके की तरह देख रहे हैं और लगातार नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को चारा डाल रहे हैं। हालांकि पहले जदयू नेताओं ने और अब मुख्यमंत्री ने खुद विपक्ष की मुरादों पर पानी फेर दिया है। बिहार में सियासी गतिरोध के सवालों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट कहा है कि ऐसी कोई बात ही नहीं है।

जदयू को चिंतन करने की दी सलाह

अरुणाचल प्रदेश में जदयू के सात में से छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद दोनों दलों के बीच दूरी बढ़ने के कयास लगाये जा रहे थे। राजद और कांग्रेस के नेताओं ने इस प्रकरण के बाद खूब बयानबाजी की और जदयू को चिंतन करने की सलाह दे दी। राजद कार्यालय के बाहर एक पोस्टर लगा दिया गया, जिसमें भाजपा के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कुर्सी काटते दिखाई दे रहे हैं।

राजद नेताओं ने यहां तक कह डाला कि अगर जदयू बिहार में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए समर्थन करता है तो वे लोग भी नीतीश कुमार को केंद्र में प्रधानमंत्री के लिए प्रोजेक्ट करेंगे। हालांकि फिलहाल राजद का नेतृत्व संभाल रहे तेजस्वी यादव ने खुद ऐसा कोई संकेत नहीं दिया और वे लगातार मुख्यमंत्री पर हमलावर बने रहे। अलबत्ता तेजस्वी की मां राबड़ी देवी ने जरूर कहा कि अगर जदयू फिर से राजद के साथ आने के लिए तैयार होता है तो वे लोग विचार करेंगे।

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