सोमवार को आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (एएफएसपीए) पर सियासी घमासान के बीच कांग्रेस नेता लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) टीपीएस रावत ने बड़ा बयान दिया। राजीव भवन में नियमित प्रेस कांफ्रेस में सोमवार को लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) टीपीएस रावत की बारी थी। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में फिलहाल ऐसे हालात नहीं कि अफसपा हटाया जाए। हां, इसकी समीक्षा की जा सकती है और भाजपा ने ही कुछ राज्यों से हटाने की शुरुआत की है।
मीडिया ने जब उनसे अफसपा को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि इस कानून की समीक्षा करने में कुछ गलत नहीं है। भाजपा ने पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में इसे हटाया है। भाजपा इसे बिना वजह तूल दे रही है। हां, जम्मू कश्मीर के परिप्रेक्ष्य में बात अलग है। वहां अफसपा हटाने के हालात नहीं हैं। वन रैंक वन पेंशन पर उन्होंने केंद्र को कठघरे में खड़ा किया। यह भी कहा कि देश में पहली बार सेना का राजनीतिकरण हो रहा है।
केंद्र और राज्य सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने को सेना के शौर्य का प्रयोग कर रही हैं। राफेल विमान डील पर भी जनरल रावत ने सवाल उठाए। साथ ही कहा कि आतंकवाद का सफाया करने का दावा करने वाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में आतंकी घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है।
ओआरओपी पर सवाल करने का कांग्रेस को नहीं नैतिक अधिकार: भसीन
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रमुख डॉ.देवेंद्र भसीन ने कहा कि अफसपा हटाने का मतलब है, सेना से सुरक्षा कवच छीन लेना। यदि यह छिन गया तो उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। देशद्रोह कानून पर भी कांग्रेस का रुख देशहित में नहीं है। ओआरओपी पर सवाल करने का कांग्रेस को नैतिक अधिकार नहीं है। 40 साल सत्ता में रहते वक्त कांग्रेस सोई रही। भाजपा ने इस पर काम किया।