देव भूमि की डेमोग्राफी बदलने की मंशा के बाद अब सनातनी चोले मे ढोंग
देहरादून। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि पूर्व सीएम हरदा अब तीर्थों और देवी देवताओं की शरण मे हैं, लेकिन वह भक्त की अपेक्षा विशुद्ध राजनेता के तौर पर दोषारोपण कर रहे हैं जो कि सनातनी चोले मे ढोंग भर है। बेहतर होता कि वह तुष्टिकरण की खातिर जितना संनातनियों का उपहास करते दिखे उस सच को स्वीकार कर पश्चाताप करते।
हरदा के गोलज्यू मन्दिर मे अर्जी लगाने संबंधी बयान पर पलटवार करते हुए चौहान ने कहा कि हरदा कोई सिद्ध पुरुष नही है जो कहे और वह लकीर बने। राजनीति मे बेशक, उनके चौंकने वाले फैसले सनातनियों के लिए आहत करने वाले भी रहे, लेकिन गोलज्यू महाराज न्याय के देवता माने जाते है। गोलज्यू देवता गुण दोष के आधार पर ही न्याय करते हैं और अब तक करते भी आये हैं। हरदा जन अदालत के फैसले के बाद बिचलित हैं और देव अदालत मे भी खुद को निर्दोष ठहराने के लिए खुद ही वकालत कर रहे हैं।
चौहान ने कहा कि गंगा सम्मान यात्रा निकालने वाले हरदा ने अपने सीएम कार्यकाल मे कितना सम्मान गंगा मां का किया उससे पूरा सनातन समाज वाक़िफ़ है। गंगा को नाले का स्वरूप बताकर न केवल माँ गंगा ही नहीं बल्कि पूर्व सीएम हरीश रावत ने पुरखों का भी अपमान किया। हरदा के सहयोगी राज्य मे मुस्लिम यूनिवर्सिटी का दावा सार्वजनिक मंच और हरदा के अश्वासंन की बात करते रहे और हरदा इसके लिए भाजपा पर दोष मढ़ रहे हैं। वही जुम्मे की नमाज उनके ही कार्यकाल का विषय है, लेकिन वह इसके लिए भी भाजपा को दोषी ठहरा रहे हैं।
चौहान ने कहा कि यह भी अजीब संयोग है कि जिस विस क्षेत्र मे मुस्लिम यूनिवर्सिटी की बात सामने आयी है, उसी क्षेत्र मे बड़ी संख्या मे अल्प संख्यक आबादी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि राज्य मे लैंड जिहाद हो या लव जिहाद अथवा यूसीसी मे हरदा सुरक्षा कवच बनकर खड़े हो गए। राज्य मे बदल रहे डेमोग्राफी को भांप कर भाजपा और सीएम पुष्कर सिंह धामी सतर्क रहे तो इसके लिए कानून बनाया गया। एक बड़ा अभियान अतिक्रमण के खिलाफ चल रहा है और इसे मिल रहे जन समर्थन के विपरीत काग्रेस इसके खिलाफ है।
चौहान ने कहा कि भाजपा पर अपनी गलतियों के लिए दोष मढ़ने के बजाय कांग्रेस को यह मंथन की जरूरत है कि अल्पसंख्यकों की तुष्टिकरण के लिए बहुसंख्यकों का तिरस्कार अनुचित और अपराध भी है। हरदा देव दरवार मे अपनी कारगुजरियों के लिए पश्चाताप के भाव से क्षमा याचना करें तो शायद उन्हें कुछ शांति का अनुभव हो सकता है। वह अभी तक देव भूमि मे सनातन के अपमान का ही दंड भुगत रहे हैं और स्थिति यह है कि वह अंजुली भर कर गंगा जल के साथ सौगंध भी लें तो जनता विश्वास नही करने वाली है।