किशोर उपाध्याय बागियों की घर वापसी पर प्रीतम से सहमत नहीं

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विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के खिलाफ बगावत करने वालों की घर वापसी को लेकर प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के विचार से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय सहमत नहीं है। उन्होंने साफ किया कि पार्टी के अधिकृत 70 प्रत्याशियों की मांग और पीसीसी के फैसले को एक व्यक्ति नहीं बदल सकता। यह फैसला तो पीसीसी में ही लिया जाना चाहिए।

बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ कई लोगों ने बगावत कर चुनाव में ताल ठोकी थी। इन सभी को उस वक्त के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की अध्यक्षता वाली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था। इनके लिए तभी से पार्टी के दरवाजे बंद थे।

प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने एक बयान में कहा था कि राजनीति में दरवाजे बंद नहीं किए जाते हैं, कोई पुराना कांग्रेसी घर वापसी करें तो हमें कोई एतराज नहीं है। इस मामले में विधानसभा चुनाव में सहसपुर सीट से बागी के कारण हार का मुंह देखने वाले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से जब बातचीत की गई तो उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के विचार से असहमति जताई।

फैसले को एक व्यक्ति नहीं बदल सकता

उन्होंने सवाल खड़ा किया कि विधानसभा चुनाव में जिन बागियों को अनुशासनहीनता करने पर निष्कासित किया गया था। वह किसी एक व्यक्ति का फैसला नहीं था, बल्कि पार्टी के अधिकृत 70 प्रत्याशियों की लिखित मांग और प्रदेश कांग्रेस कमेटी का था। इस फैसले को एक व्यक्ति नहीं बदल सकता।

उन्होंने कहा कि मेरी राय में तो इस तरह के फैसले को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक में ही विचार के लिए लाया जाना चाहिए। पीसीसी को ही इस पर निर्णय लेने का अधिकार है। किशोर उपाध्याय ने कहा कि बगावत कर पार्टी प्रत्याशियों को चुनाव में नुकसान पहुंचाने वाले लोगों की वापसी से यह भी संभव है कि निष्ठावान कार्यकर्ताओं की भावनाएं आहत हो और संगठन को नुकसान ना उठाना पड़े। यह एक गंभीर विषय है।

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