अब पिरूल से मिलेगी 150 मेगावाट बिजली, 60 हजार रोजगार

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राज्य मंत्रिमंडल ने पर्वतीय क्षेत्रों में पिरूल यानी चीड़ की पत्तियों एवं अन्य बायोमास से ऊर्जा उत्पादन नीति को मंजूरी दी है। इस नीति के लागू होने से राज्य को पिरूल से 150 मेगावाट बिजली तो मिलेगी ही, साथ में करीब छह हजार इकाइयां स्थापित होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में करीब 60 हजार लोगों को रोजगार के मौके मिलेंगे। पिरूल से ऊर्जा उत्पादन इकाइयों की स्थापना को सब्सिडी भी दी जाएगी।

वहीं राज्य के न्यायिक अधिकारियों को मूल वेतन में 30 फीसद वृद्धि, सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योगों को वैट में मिलने वाली छूट जीएसटी में भी जारी रखने के अहम फैसले भी मंत्रिमंडल ने लिए हैं। राज्य के नगर निकायों को लोक निर्माण विभाग की छोटी सड़कें देने के फैसले पर मुहर लगाई गई तो सहकारिता विभाग में पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में लागू सहकारिता सहभागिता योजना को समाप्त करने को भी मंजूरी दी गई।

राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को पिरूल नीति को मंजूरी देकर ऊर्जा उत्पादन के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम कदम बढ़ाया है। राज्य में प्रतिवर्ष 15 लाख मीट्रिक टन चीड़ की पत्तियां गिरती हैं। इनमें से 40 फीसद का ही उपयोग ऊर्जा उत्पादन में किया जा सकता है। दस किलोवाट क्षमता से 250 किलोवाट क्षमता की विद्युत उत्पादन इकाइयों की स्थापना राज्य में कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं, पंजीकृत फर्मों, औद्योगिक इकाइयों व सहकारी संस्थाओं द्वारा समुदाय आधारित संगठनों के साथ संयुक्त रूप से की जाएगी। 25 किलोवाट क्षमता की इकाइयों को प्रति वर्ष करीब एक लाख 40 हजार यूनिट बिजली और करीब 21 हजार किलो चारकोल उत्पादन होगा। इसे बेचने पर करीब 9.3 लाख रुपये की आमदनी प्राप्त होगी।

इस नीति के तहत 2019 तक एक मेगावाट तक 250 वर्गमीटर दायरे में लगने वाले संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति इसकी मंजूरी देगी। वहीं 2021 तक पांच मेगावाट और 2020 तक 100 मेगावाट की इकाइयों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। प्रति किलोवाट 18 हजार रुपये बतौर सब्सिडी मिलेंगे।

मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों के आने से पहले ही राज्य में कार्यरत 318 न्यायिक अधिकारियों के मूल वेतन में 30 फीसद वृद्धि करने का निर्णय लिया है। आयोग की सिफारिशों के मुताबिक बढ़ा वेतन बाद में लागू होगा।

कारोबारियों को जीएसटी में छूट

सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों की बड़ी चिंता दूर करते हुए मंत्रिमंडल ने उन्हें वैट में मिलने वाली छूट की तर्ज पर जीएसटी में भी छूट देने का निर्णय लिया है। इसके तहत श्रेणी ए की उत्पादन इकाइयों को 90 फीसद व श्रेणी बी की उत्पादन इकाइयों को 75 फीसद तक छूट मिलेगी। मंत्रिमंडल ने पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सहकारिता में लागू सहकारिता सहभागिता योजना को समाप्त कर दिया है। राज्य की भाजपा सरकार दीनदयाल उपाध्याय किसान कल्याण योजना लागू कर चुकी है। इस योजना के तहत सस्ती ब्याज दर पर किसानों को ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।

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