शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने सोमवार को शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम को कार्यवाही करने के निर्देश दे दिए। दिल्ली की केजरीवाल सरकार की तर्ज पर राज्य की त्रिवेंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है। इसके साथ ही लॉकडाउन अवधि में छात्रों तक किताबें पहुंचाने के लिए सरकार पंचायत और निकाय प्रतिनिधियों की मदद लेने पर भी विचार कर रही है। यमुना कॉलोनी स्थित अपने कैंप आफिस में शिक्षा मंत्री ने शिक्षा सचिव के साथ चार महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की और निर्देश दिए।
बाजार बंद होने की वजह से नहीं मिल पा रही छात्रों को किताबें
लॉकडाउन की वजह से सभी स्कूल बंद हैं। बाजार बंद होने की वजह से छात्रों को किताबें भी नहीं मिल पा रही है। ऐसे में पंचायत और निकाय प्रतिनिधियों को अपने-अपने क्षेत्र के बच्चों को चिह्नित कर उनके लिए किताबें लाने की छूट देने पर विचार किया जा रहा है। शिक्षा मंत्री का कहना है कि जनप्रतिनिधि बाजार से किताब लाकर छात्रों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मुहैया करा सकते हैं। शिक्षा सचिव को इस फार्मूले पर मुख्य सचिव के साथ साझा करने को कहा गया है।
लॉकडाउन की अवधि में सभी अधिकारी अपने अपने स्तर पर शिक्षकों के तबादला, प्रमोशन, रिटायरमेंट लाभ, अतिथि शिक्षक नियुक्ति आदि विषयों को होमवर्क पूरा कर लें। लॉकडाउन खुलते ही विभाग का पूरा फोकस केवल पढाई पर ही रहना चाहिए। इस वक्त बड़ी संख्या में लोग वापस अपने गांव लौटे हैं। वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में एडमिशन करा सकते हैं। लिहाजा शैक्षिक गुणवत्ता पर विशेष ध्यान रखा जाए।
कोरोना लॉकडाउन की वजह से प्राइवेट स्कूलों पर तीन महीने तक फीस न लेने का आदेश हैं। प्राइवेट स्कूलों का कहना है कि सरकार ने किसी भी कार्मिक की तनख्वाहें नहीं रोकी हैं। जो लोग फीस देने में सक्षम हैं, उन्हें भुगतान की इजाजत दी जाए। शिक्षा सचिव को इस मांग के सभी पहलुओं का अध्ययन करने के निर्देश दिए गए हैं।