देहरादून। भाजपा ने समान नागरिक संहिता ड्राफ्ट कमेटी बैठक में कांग्रेस के शामिल न होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि कांग्रेस रचनात्मक कार्यों से दूरी बनाकर हमेशा नकारात्मक विपक्ष की भूमिका का निर्वहन करता रहा है और उसे जन हित के मुद्दों से भी कोई सरोकार नही है।
पार्टी प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट ने आरोप लगाया कि राज्य में शांति, सद्भाव एवं समान अधिकार से जुड़े इस महत्वपूर्ण विषय से किनारा करने से कांग्रेस का तुष्टिकरण वाला देवभूमि विरोधी चेहरा फिर सामने आया है । उन्होंने कहा कि पार्टी संगठन ने विस्तार से इस कानून के संबंध में अपने सुझाव कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किये हैं । इसी तरह अन्य सामाजिक, राजनैतिक एवं गैरराजनैतिक संगठनों से हुई चर्चा और अब तक की ड्राफ्टिंग प्रक्रिया से हम पूरी तरह संतुष्ट हैं। उन्होंने उम्मीद जतायी कि शीघ्र ही उत्तराखंड अपने निवासियों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने वाला पहला प्रदेश बनेगा । उन्होंने कहा कि यह कानून देवभूमिवासियों को समान कानूनी, समाजिक एवं आर्थिक अधिकार देगा साथ ही सभी वर्गों, धर्मों एवं समाज मे महिलाओं के लिए समानता का अधिकार भी सुनिश्चित करेगा । उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि यह कानून नकल एवं धर्मान्तरण कानून की तरह देश के अन्य राज्यों के लिए नजीर बनने वाला है ।
श्री भट्ट ने कांग्रेस के विस्तृत जानकारी नही मिलने के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि कई दशकों से देश भर में सामान नागरिक संहिता को लेकर विभिन्न मंचों पर बहस जारी है । कांग्रेस के नेता राष्ट्रीय एवं प्रदेश के मीडिया या अन्य सार्वजनिक मंचों पर ऐसे किसी भी कानून का विरोध कर चुकी है । राज्य में भी साल भर से बैठकों, गोष्ठियों, टीवी डिबेट, अखबारों, सोशल मीडिया एवं समाज के प्रत्येक वर्ग में इस विषय को लेकर लाइव बहस जारी, स्वयं कांग्रेस एवं अन्य पार्टी के प्रवक्ता और नेता इस विषय पर पार्टी के विचार विरोध स्वरूप प्रस्तुत करते रहते हैं । लेकिन जब अधिकृत रूप में पार्टी का पक्ष रखने की बात आई तो जनता की इस कानून के पक्ष में भावनाओं से डर कर विरोध करने की हिम्मत नही जुटा पाए । यही वजह है कि कांग्रेस के नेता ड्राफ्ट की जानकारी नही होने का बहाना बनाते हुए धर्म विशेष के तुष्टिकरण के लिए बैठक में शामिल नही हुए ।
उन्होंने आरोप लगाया कि हकीकत यह है कि कांग्रेस कभी नही चाहती है कि प्रदेशवासियों को समान कानून व अधिकार मिले ताकि सामाजिक सदभाव व कानून व्यवस्था से शांत प्रदेश की छवि अधिक मजबूत हो। उन्होंने कहा कि तीन तलाक का विरोध करने वाले ये लोग कभी नही चाहेंगे कि अल्पसंख्यक बहिनों को पुरूषों के समान कानूनी व सामाजिक अधिकार मिले ।
श्री भट्ट ने कटाक्ष करते हुए कहा कि बैठक शामिल न होना तो सिर्फ बहाना है। असलियत तो अल्पसंख्यक मतों को रिझाना है और इस मुद्दे पर जनता की नाराजगी से बचना है। लिहाज़ा बंद कमरों में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की वादा करने वालों से अधिक उम्मीद करना बेमानी है ।