आठ दिवसीय शारदीय नवरात्र को लेकर बाजार सज चुके हैं। माता के शृंगार से लेकर पूजा का सामान और कपड़ों की दुकान पर ग्राहकों ने खरीदारी शुरू कर दी है। इस बार नवरात्र पर विशेष पूजा की थाली और पूजा पैकेट ग्राहकों की पसंद बने हैं। ग्राहकों की डिमांड और बाजार में चहल-पहल को देखते हुए दुकानदारों को त्योहारी सीजन में अच्छे कारोबार की उम्मीद है।
नवरात्र के साथ ही इस महीने दशहरा, करवाचैथ और अगले महीने धनतेरस, दीपावली और विवाह का सीजन भी है। इसे देखते हुए दुकानदार तैयारियों में जुट गए हैं। फिलहाल नवरात्र की बात करें तो पूजा की दुकानों में माता की चुनरी, प्रसाद, गंगाजल, गोला, कलश, थाली, धूप, कपूर, रोली, चंदन युक्त विशेष पूजा की थाली सभी की पसंद बनी है। सहारनपुर चैक स्थित दुकान के स्वामी राजीव बताते हैं कि बीते वर्ष कोरोना के कारण शारदीय नवरात्र पर नया सामान नहीं मंगाया, लेकिन अब मंदिर खुल चुके हैं और भक्त श्रद्धाभाव के साथ व्रत धारण कर मंदिर दर्शन के लिए जाएंगे।
नवरात्र से लेकर दुर्गा पूजा के लिए मूर्तियों की मांग
ऐसे में उनके लिए यह स्पेशल थाली बाजार में आ चुकी है। इसके अलावा पूजा का सामान रखने के लिए बैग भी उपलब्ध है। कुम्हार मंडी स्थित दुकानदार नीरज प्रजापति का कहना है कि नवरात्र से लेकर दुर्गा पूजा के लिए मूर्तियों की मांग आ रही है। लोग छोटी मूर्तियां खरीद रहे हैं। वहीं, पलटन बाजार स्थित दुकान के सेल्समेन विक्रांत ने बताया कि पीले, नारंगी और लाल रंग की हल्की साड़ियों की मांग होने लगी है। नवरात्र में साडियां पहनकर पूजा करने और मंदिर जाने के लिए हल्की साड़ियां खरीदना पसंद कर रही हैं।
इस नवरात्र घोड़े पर सवार होकर आएगी मां दुर्गा
तृतीया और चतुर्थी एक ही दिन पड़ने के कारण इस बार शारदीय नवरात्र आठ दिन के होंगे। अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होने वाले नवरात्र में इस बार मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर होगा, जबकि विदा हाथी से होंगी। ज्योतिषाचार्य इसे फलदायक बता रहे हैं। वहीं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11रू30 से 12रू30 तक रहेगा।
सात अक्टूबर से नवरात्र शुरू हो रहे हैं, जो नवमी 14 अक्टूबर तक रहेंगे। आचार्य बिजेंद्र प्रसाद ममगाईं के अनुसार, इस बार नवरात्र नौ नहीं, आठ दिन तक चलेंगे। दो तिथियां तृतीया और चतुर्थी एक साथ पड़ने से नवरात्र का एक दिन घट रहा है। पंचांग के अनुसार नौ अक्टूबर शनिवार को तृतीया तिथि सुबह सात बजकर 47 मिनट तक रहेगी। इसके बाद चतुर्थी तिथि शुरू होगी, जो 10 अक्टूबर को सुबह पांच बजे तक रहेगी। चतुर्थी तिथि में सूर्योदय न होने के कारण यह तिथि क्षय मानी जाएगी।