2022 उत्तराखंड में शुरू हुई चार धाम यात्रा में अव्यवस्था का आलम चरम पर है। 3 मई को अक्षय तृतीया के मौके पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के पट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा की शुरुआत हुई। 6 मई को केदारनाथ धाम और रविवार को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारों धाम में श्रद्धालुओं का जमावड़ा शुरू हो गया है। कोविड संक्रमण की रफ्तार थमने के बाद भक्तों के लिए जैसे ही यात्रा शुरू हुई तो भीड़ उमड़ पड़ी। उत्तराखंड सरकार को पहले से अंदाजा था कि इस बार श्रद्धालुओं की संख्या में भारी इजाफा होगा। इसके लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी से लेकर मंत्री सतपाल महाराज तक ने दिशा-निर्देश जारी किए थे। इन दिशा-निर्देशों को भुला दिया गया है। केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं के लिए उचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है। वहीं, स्वास्थ्य जांच की भी पुख्ता व्यवस्था नहीं की गई है। आलम यह है कि चार धाम यात्रा शुरू होने के 6 दिनों में ही 16 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है।
बिना स्वास्थ्य जांच के आने वाले तीर्थयात्रियों को भी यात्रा की मंजूरी
प्रशासनिक स्तर पर सभी तीर्थयात्रियों को पूरी स्वास्थ्य जांच के साथ ही यात्रा पर आने का निर्देश दिया गया है। चार धाम की दुरूह यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों को पूर्ण स्वस्थ होना जरूरी है। ऐसे में बिना स्वास्थ्य जांच के आने वाले तीर्थयात्रियों को भी यात्रा की मंजूरी दे दी जा रही है। इसके लिए तीर्थयात्रियों को एक शपथ पत्र देना होता है कि अगर तीर्थ यात्रा के दौरान किसी प्रकार की विषम स्थिति उत्पन्न होती है या जान चली जाती है तो इसका जिम्मेदार वे स्वयं होंगे। इसमें प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं होगी। ऐसे शपथ पत्र के जरिए तीर्थयात्रियों की मौतों से पल्ला कैसे झाड़ा जा सकता है? प्रशासन और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आ रहा है। वहीं, आम तीर्थ यात्री भी यात्रा के उत्साह के नियमों को तार-तार करने में जुटे हैं। तीर्थ यात्रा को लेकर यह अव्यवस्था लोगों की जान पर भारी पड़ रही है।
पुलिस पर उठे हैं सवाल
केदारनाथ में यात्रा के दौरान पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठ रहे हैं। तेज आवाज में आंख दिखाकर बोलने से लेकर अभद्रता, धक्का मारने और लाठी दिखाने से यात्रियों में पुलिस को लेकर गुस्सा बढ़ा हुआ है। कपाटोद्घाटन पर मंदिर के वीआईपी गेट पर यात्रियों के साथ पुलिस जवानों द्वारा की गई धक्कामुक्की से आहत भक्त बिना दर्शन के ही वापस लौटे। 6 मई को ही जिस प्रकार की भीड़ उमड़ी थी, उसको लेकर व्यवस्था नजर नहीं आई। एक यात्री ने बताया कि उन्हें तीन बार धक्का मारकर पीछे हटाया। साधुओं के साथ भी इसी प्रकार का व्यवहार पुलिस वाले करते नजर आए। साधु ने गुस्से में इसे बाबा केदार का अपमान करार दिया। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने माफी मांगी।
चार धाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की लगातार मौत के मामले सामने आ रहे हैं। समुद्र तल से 10 हजार से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर यात्रा के कारण श्रद्धालुओं को हृदय गति रुकने से मौत के मामले बढ़ रहे हैं। कोविड के पहले तीर्थयात्रियों के लिए हेल्थ फिटनेस सर्टिफिकेट अब तक अनिवार्य नहीं किए गए हैं। इस कारण परेशानी बढ़ रही है। सरकार की ओर से तीर्थयात्रियों की संख्या को लेकर घोषणा तो की है, लेकिन कैप लगाने के मामले पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इस वर्ष तो कोविड वैक्सिनेशन सर्टिफिकेट और कोविड निगेटिव सर्टिफकेट को भी अनिवार्य नहीं किया गया है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि मौत के कई कारण हो सकते हैं।
उत्तरकाशी के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. केएस चैहान का कहना है कि श्रद्धालुओं की संख्या को लेकर अब तक कोई रोक नहीं लगाई गई है। इस कारण चेक पोस्ट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। लोग स्वास्थ्य जांच नहीं करा रहे हैं। सीएमओ ने कहा कि अगर कोई अनफिट पाया जाता है तो वह किसी विषम परिस्थिति के लिए खुद को जिम्मेदार घोषित करने का अंडरटेकिंग देने को तैयार हो जाता है। रुद्रप्रयाग के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. बीके शुक्ला ने कहा कि अधिकांश मौत का कारण हॉर्ट अटैक है। 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को ब्लड प्रेसर और शुगर जैसी समस्याओं के कारण इस प्रकार की स्थिति झेलनी पड़ रही है।
चार धाम यात्रा में मौत के बढ़ते मामलों के बाद उत्तराखंड सरकार की ओर से इस दिशा में प्रयास शुरू हुए हैं। उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों और दूरदराज से आने वाले तीर्थयात्री मान लेते हैं कि वे इस ट्रैक को भी आसानी से पार कर लेंगे। हालांकि, यहां तापमान, ऊंचाई और ऑक्सीजन के स्तर में अंतर है। मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने पहले से ही तीर्थ यात्रा के रूट में बेहतर स्वास्थ्य इंतजाम किए हैं। सभी चारों धाम में यह व्यवस्था की गई है। मैंने खुद चारों तीर्थस्थल पर दो अतिरिक्त हाईटेक एंबुलेंस की तैनाती का निर्देश दिया है। हम जल्द ही तीर्थयात्रियों को अपने संबंधित राज्यों से स्वास्थ्य प्रमाण पत्र लेकर आने के लिए कहेंगे। खासकर 60 वर्ष से अधिक आयु के तीर्थयात्रियों के लिए यह अनिवार्य किया जाएगा।