भारत-चीन युद्ध के बाद से वीरान पड़ा उत्तराखंड का यह गांव होगा फिर से जीवित

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देहरादून, 24 फरवरी, 2025 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : उत्तराखंड सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए,

उत्तरकाशी के ऐतिहासिक जादुंग गांव Jadung Village को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने का अभियान तेज कर दिया है.

शीतकाल के कारण रुके हुए निर्माण कार्य अब अगले दो महीनों में फिर से शुरू होने वाले हैं,

जिनमें वीरान पड़े घरों का पुनर्निर्माण, उत्सव मैदान, कारवां पार्क और पर्यटकों के लिए आकर्षक व्यू प्वाइंट शामिल हैं.

भारत-चीन युद्ध के बाद से वीरान पड़ा गांव अब होगा पुनर्जीवित

1962 के भारत-चीन युद्ध (1962 Indo-China War) के बाद से लगभग वीरान पड़े इस सीमांत गांव की तस्वीर अब बदलने जा रही है.

गढ़वाल मंडल विकास निगम (Garhwal Mandal Vikas Nigam) के प्रबंध निदेशक विशाल मिश्रा के अनुसार, “जादुंग गांव में शीतकाल के कारण रुके हुए सभी विकास कार्य अप्रैल 2025 से फिर से शुरू किए जाएंगे, जिनसे इस क्षेत्र का कायाकल्प होगा.”

3 करोड़ से अधिक के विकास कार्यक्रम: जीर्ण घरों से लेकर पर्यटक सुविधाओं तक
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत:

घरों का पुनर्निर्माण: छह जीर्ण-शीर्ण घरों के पुनर्निर्माण पर 365.33 लाख रुपये का निवेश, जिसमें से 146 लाख रुपये पहले ही जारी.

आठ अतिरिक्त भवन: 493.36 लाख रुपये के अनुमानित बजट से आठ और भवनों का पुनर्निर्माण जल्द ही शुरू होगा.

उत्सव मैदान: 997.31 लाख रुपये की अनुमानित लागत से गांव की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित करने के लिए विशेष मैदान.

कारवां पार्क: भेरोंघाटी-जादुंग मोटर मार्ग पर हिंडोलीगाड़ में 999.89 लाख रुपये की लागत से पर्यटकों के लिए विशेष पार्किंग व्यवस्था.

प्रवेश द्वार और चैक पोस्ट: 91.38 लाख रुपये की लागत से अप्रैल 2025 से शुरू होने वाला निर्माण कार्य.

दो प्रमुख व्यू प्वाइंट: गर्तांग गली के सामने हवा बैंड में 50.43 लाख रुपये तथा श्रीकांठा पर 66 लाख रुपये की लागत से विशेष दृश्य बिंदु.

“सीमांत क्षेत्रों का विकास हमारी प्राथमिकता” – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस परियोजना पर विशेष ध्यान देते हुए कहा, “सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए राज्य सरकार पूरी गंभीरता से काम कर रही है.

जादुंग गांव को पर्यटन ग्राम के रूप में विकसित करने का हमारा लक्ष्य है कि यह सीमांत गांव पर्यटन के मानचित्र पर प्रभावी ढंग से उभरकर सामने आए.”

विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना न केवल जादुंग गांव के विकास में मदद करेगी,

बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोगों को रोजगार और आर्थिक अवसर भी प्रदान करेगी,

जिससे उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में मदद मिलेगी.