तीन तलाक विधेयक राज्यसभा में आज होगा पेश

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तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के खिलाफ मुस्लिम महिला (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक को आसानी से लोकसभा में पारित कर लिया गया, लेकिन राज्यसभा में सरकार की राह आसान नहीं है। राजनीतिक दल इसका विरोध भले ही नहीं कर रहे हों, लेकिन ज्यादातर दलों की राय है कि इस विधेयक को स्थाई समिति को भेजकर और बेहतर बनाया जाए। राज्यसभा में मजबूत विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब हो सकता है।

विधेयक राज्यसभा में मंगलवार को पेश होने के लिए सूचीबद्ध है। सरकार की योजना है कि मंगलवार को ही इस पर चर्चा कराकर पारित करा लिया जाए। लेकिन 28 दिसंबर को लोकसभा में जब विधेयक पर चर्चा हुई थी तो कांग्रेस, माकपा, अन्नाद्रमुक, द्रमुक, बीजद, राजद, सपा समेत कई दलों ने इसे संसदीय समिति को भेजने की मांग जोरदार तरीके से उठाई थी। राज्यसभा में भी इन दलों का रुख यही रहने की संभावना है। कई छोटे दल भी चाहते हैं कि संसदीय समिति में इस विधेयक को भेजा जाए।

बीजद, एनसीपी समेत अन्य विपक्षी दल कांग्रेस का कर सकते हैं समर्थन

तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा में विधेयक पर तटस्थ रुख अपनाया था। लेकिन वह भी विधेयक को इस स्वरूप में पारित किए जाने के पक्ष में नहीं है। राज्यसभा में उसके 12 सांसद हैं। यदि राज्यसभा में सदन की राय बनती है कि विधेयक को संसदीय समिति या सलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए तो तृणमूल कांग्रेस भी इसका समर्थन करेगी। बीजद, एनसीपी समेत अन्य विपक्षी दल भी इस मामले में कांग्रेस का समर्थन कर सकते हैं। लेकिन काफी कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि विपक्ष कितनी एकजुटता दिखाता है। यदि संख्या बल के बावजूद विपक्षी एकजुटता सदन में नजर नहीं आती है तो फिर सरकार विधेयक को विपक्ष के हंगामे के बीच भी पारित करा सकती है।

कानून एवं न्याय मंत्रालय से संबद्ध स्थाई समिति राज्यसभा की है। इसलिए यदि सदन का बहुमत इसे समिति को भेजने के पक्ष में रहता है तो सरकार के पास दो विकल्प होंगे। एक स्थाई समिति को भेजा जाए। दूसरे, सलेक्ट कमेटी को भेजा जाए। इनमें से कोई भी एक विकल्प विपक्ष को भी स्वीकार हो सकता है।

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