राज्य कर्मचारी करेंगे चरणबद्ध आंदोलन, शासन के रवैये से हैं नाखुश

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राजधानी में पिछले दिनों एक दिन के सामूहिक अवकाश से पूरी व्यवस्था को हिला देने वाला कर्मचारी आंदोलन फिर चरणबद्ध रूप में शुरू होने जा रहा है। पहले चरण में बाहों में काली पट्टी बांधकर विरोध जताया जाएगा तो 24 फरवरी को जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपो कार्यक्रम होगा।

कर्मचारियों ने साफ किया कि निर्धारित तिथि के भीतर यदि सरकार ने मांगों पर कार्रवाई नहीं की तो इसी दिन प्रदेशव्यापी महारैली की तिथि का भी ऐलान किया जाएगा। मांगों पर विचार नहीं होने से निराश उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति की ओर से चरणबद्ध आंदोलन की तिथियां निर्धारित की जा चुकी हैं।

समिति के संयोजक ठाकुर प्रहलाद सिंह ने कहा कि कर्मचारी मुख्यमंत्री पर पूरा विश्वास करते हैं। मुख्यमंत्री पर विश्वास के कारण ही उन्होंने आंदोलन टालने का निर्णय लिया था। कहा कि शासन के अधिकारी मध्यस्तता में सकारात्मक भूमिका नहीं निभा रहे हैं और सीएम को सही जानकारी नहीं दे रहे हैं। इसीलिए कर्मचारी चाहते हैं कि मुख्यमंत्री उनके साथ सीधे संवाद करें, ताकि कोई भ्रम की स्थिति न रहे।

आंदोलन की रूपरेखा

  • 12 व 13 फरवरी को दो दिन कर्मचारी बाहों में काली पड्ढट्टी बांधकर सांकेतिक विरोध जताएंगे।
  • 15 फरवरी को सभी जनपद एवं शाखाओं में शाम साढ़े छह बजे कर्मचारी कैंडल मार्च निकालेंगे।
  • 24 फरवरी को सभी जनपद एवं शाखाओं में कर्मचारी जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे।
  • 24 फरवरी को इसी दिन कोई ठोस आश्वासन न मिलने पर समिति के संयोजक मंडल द्वारा प्रदेशव्यापी महारैली की तिथि की घोषणा।

संगठन के प्रांतीय महामंत्री जीतेंद्र सिंह बुटोइया ने प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि वर्ष 2012 में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर इरशाद आयोग गठित किया गया था, जिसकी रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई।उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट व केंद्र सरकार के निर्देश के बावजूद प्रदेश सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। जिससे इस वर्ग का प्रतिनिधित्व कम हो गया है। वर्तमान विस सत्र में इस बारे में सरकार निर्णय ले। उन्होंने प्रत्येक विकासखंड में अनुसूचित जाति व जनजाति की समस्याओं एवं विवादों के निराकरण के लिए समिति गठित करने का शासनादेश जारी करने पर मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।

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