वीडियो … क्या आपने देखा है हुडके की थाप पर गीत गाते हुए धान रोपाई करती महिलाओं को, देखिये और बनिये हमारी खूबसूरत परंपरा के वाहक

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देहरादून। हमारी देवभूमि उत्तराखंड की हर बात निराली है। यहां की परंपराएं तमाम खूबियां और खूबसूरती संजोये हुए हैं। आपने हुडके की थाप पर गीत गाती हुईं महिलाओं को धान की रोपाई करते हुए देखा है। यह भी हमारी परंपरा का हिस्सा है। शायद इस परंपरा की शुरूआत सामूहिक वर्क को प्रोत्साहित देने के लिए हमारे पुरखों ने की होगी। कुमाऊं मंडल के अल्मोडा जनपद के सोमश्वर घाटी के बौरारो, कैडारो समेत दर्जनों गांवों, मासी, चौबटिया के इलाके जो कि रामगंगा नदी के किनारे बसे हुए हैं, जनपद बागेश्वर के बैजनाथ एवं गरूड घाटी के गांवों में हुडकिया बजाते हुए गीत गाते हुए महिलाएं सामूहिक रूप से खेतों में धान रोपाई कर रही हैं। धान रोपाई के दौरान पारंपरिक हुडका वादन और गायन की परंपरा यहां आपको दिखाई देगी। महिलाओं का सामूहिक रूप से धान रोपाई करना और पारंपरिक गीतों के साथ हुडका वादन माहौल को खूबसूरत बना देता है। धान रोपाई के वक्त गायन और हुडका वादन की परंपरा अभी कुछ जगह जीवित है। बताते हैं धान रोपाई कर रही महिलाएं गीत गाते हुए काम में तल्लीन रहती हैं इससे उन्हें थकान का अहसास नहीं होता है और कार्य भी जल्द हो जाता है। आप भी धान रोपाई के वक्त गायन और हुडका वादन का आनंद उठाइये …

पलायन कर तराई बसे लोग भी कर रहे परंपरा का निर्वहन

पहाड से मैदान यानी तराई की तरफ रूख करने वाले पहाड के लोग धान रोपाई में एक-दूसरे के यहां जाते हैं। सामूहिक रूप धान रोपाई करते हैं। हुडकिया की थाप और गीत गाते हुए महिलाएं धान रोपाई का कार्य करने की परंपरा का निर्वहन कर रही हैं। तराई बेल्ट के खटीमा, सितारगंज, काशीपुर से लगे इलाकों, रूद्रपुर समेत तमाम जगह आजकल धान रोपाई का काम चल रहा है।