लॉकडाउन उल्लंघन पर प्रवासी कामगारों के खिलाफ दर्ज सभी मामले लिए जाएं वापस: सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मार्च माह में कोरोना वायरस के भारत में फैलने की प्रक्रिया में तेजी आते ही देश को लॉकडाउन कर दिया गया था। सभी दफ्तरों और कंस्ट्रक्शट साइट्स का काम थम गया। ऐसे में रोजी रोटी की दिक्कत झेल रहे लोगों ने हजारों की संख्या में अपने- अपने राज्यों में पैदल ही पलायन किया। जिसके बाद इन लोगों पर लॉकडाउन के उल्लंघन का केस दर्ज हुआ था। कोर्ट ने कहा, लॉकडाउन उल्लंघन पर प्रवासी कामगारों के खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस लिए जाएं।

सुप्रीम कोर्ट के इसको लेकर आज आए आदेश में प्रवासी कामगारों को 15 दिनों के भीतर उनके घर कस्बों में वापस भेजे जाने की बात कही गई है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन करने वाले प्रवासियों कामगारों के खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस लिए जाने पर विचार होगा।

मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को तय

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से योजनाओं, रोजगार सृजन आदि पर अपने विस्तृत हलफनामे प्रस्तुत करने के लिए कहा है और मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को तय की है। कोर्ट ने कहा कि सु श्रमिक ट्रेनों की मांग की स्थिति में, रेलवे 24 घंटे के भीतर ट्रेनें प्रदान करेगा। रेलवे प्रवासी श्रमिकों को सभी योजनाएं प्रदान करेगा और उन्हें प्रचारित करेगा। श्केंद्र और राज्यों को सुव्यवस्थित तरीके से प्रवासी श्रमिकों की पहचान के लिए एक सूची तैयार करनी होगी। वहीं रोजगार के लिए राहत और प्रवासी मजदूरों को स्किल-मैपिंग से राहत दी जाएगी।

गौरतलब है कि इस साल मई महीने में रेलवे ने तकरीबन 2,818 विशेष श्रमिक ट्रेन चलाईं और 37 लाख से अधिक प्रवासी कामगारों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। उनमें से 80 फीसदी यात्री उत्तर प्रदेश और बिहार गए। रेलवे ने जानकारी दी थी कि 2,818 श्रमिक विशेष ट्रेन में से अभी 565 रास्ते में हैं और 2,253 गाड़ियां अपने-अपने गंतव्य पर पहुंच चुकी हैं। रेलवे ने पिछले चार दिनों में प्रतिदिन औसतन 260 ट्रेन चलाई और करीब तीन लाख यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाया।

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