सरकार ने प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता के लिए अहम फैसला लिया है। सरकारी विद्यालयों में पांचवीं व आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं होंगी। परीक्षा अगले शैक्षिक सत्र से होगी। खास बात ये है कि परीक्षाओं के नतीजे छात्र-छात्राओं से ज्यादा शिक्षकों की चिंता बढ़ाने जा रहे हैं।
कम अंक आने पर विद्यार्थियों को फेल नहीं किया जाएगा, लेकिन इसके लिए शिक्षकों को प्रतिकूल प्रविष्टि मिलना तय है। ऐसा हुआ तो गुणांकों में कमी के चलते उन्हें तबादलों और पदोन्नति में परेशानी से जूझना पड़ सकता है।
कम अंक पर नपेंगे गुरुजी
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने सोमवार दोपहर को सचिवालय में शिक्षा महकमे के अधिकारियों के साथ बैठक की। ढाई घंटे से ज्यादा चली बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। शिक्षा का अधिकार एक्ट लागू होने की वजह से कक्षा एक से आठवीं तक बच्चों को फेल नहीं किया जा रहा है, लेकिन इसकी आड़ में मूल्यांकन में ढिलाई बरते जाने को लेकर शिक्षा मंत्री गंभीर हुए हैं।
उन्होंने कहा कि एक्ट में फेल करने पर पाबंदी है, लेकिन मूल्यांकन में किसी तरह की पाबंदी नहीं है। लिहाजा पांचवीं और आठवीं कक्षाओं की बोर्ड परीक्षा होगी। मूल्यांकन से शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने में मदद मिलेगी। इससे बच्चों के विषय ज्ञान के स्तर का पता चलेगा, साथ ही शिक्षकों की परफॉरमेंस को आंका जा सकेगा। कम अंकों के लिए बच्चों के बजाए शिक्षक कार्रवाई की जद में आएंगे। छात्र-छात्राओं के कम अंक आने पर संबंधित शिक्षक की चरित्र पंजिका में प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज की जाएगी।
बैठक में तय हुआ कि बोर्ड परीक्षाओं के लिए प्रश्नपत्र जिलों में डायट के स्तर पर तैयार किए जाएंगे। मूल्यांकन का कार्य ब्लॉक रिसोर्स परसन (बीआरपी) के स्तर पर किया जाएगा। शिक्षा मंत्री ने आकस्मिक निरीक्षण के दौरान विद्यालयों में गैर हाजिर मिलने वाले शिक्षकों के वेतन में कटौती के निर्देश भी दिए। बायोमेट्रिक हाजिरी की रिपोर्ट के आधार पर शिक्षकों का वेतन आहरित होगा।