तीज-त्योहारों में शराब पर लगा पूर्ण प्रतिबंध

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सिल्ली के ग्रामीण अब अपने निर्णय से न केवल शराब की समस्या से निजात पाएंगे बल्कि शराब जैसी बुराई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर एक नई रवायत की गंगा को भी कत्यूर की धरती से प्रवाहित करेंगे। सिल्ली गांव में शादी या अन्य समारोहों और तीज-त्योहारों में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। लोगों का स्वागत यहां अब दूध, दही, मट्ठा और जूस से किया जाएगा।

तहसील के सिल्ली गांव में कुछ जागरूक लोगों की पहल ने अब शराब परोसना पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है। गांव के कुछ जुझारु युवाओं और लोगों ने गांव में एक बैठक कर अब शराब पीने और पिलाने वालों का सामाजिक बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि पहाड़ों में शराब का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। युवा पीढ़ी इसकी गिरफ्त में आ रही है और इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव महिलाओं पर पड़ता है।

उन्होंने कहा कि शराब पर प्रतिबंध लगने से अब शराब पीने से होने वाली मौतों पर भी लगाम लगेगी। ग्रामीणों ने तय किया कि जो व्यक्ति गांव में शराब पिलाएगा उसके आंगन में अगले साल से होली भी नहीं खेली जाएगी और उसे समाज से निष्कासित भी कर दिया जाएगा। इस दौरान रघुवीर ¨सह नेगी, हरिदत्त खोलिया, जीवन दुबे, अखिल जोशी, रमेश खोलिया, डीके नेगी, सोनू दुबे, गुड्डू स्वामी, राजेंद्र खोलिया, गणेश पांडे, आनंद दूबे आदि मौजूद थे।

वर्षो पुरानी इस प्रथा को समाप्त करने का लिया निर्णय

गरुड़ में शादी-बारातों में अब सिल्ली के ग्रामीण गोला भी नहीं देंगे। उन्होंने वर्षो पुरानी इस प्रथा को समाप्त करने का निर्णय लिया है। पहाड़ों में अमूमन लड़की की शादी में दी जाने वाली भेंट के बदले गोले देने की प्रथा है। लेकिन अब ग्रामीणों ने इसे भी समाप्त करने का निर्णय ले लिया है। सिल्ली के ग्रामीणों की यह पहल व्यसनमुक्त समाज बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। इस तरह की मुहिम अन्य गावों को भी शुरू करनी चाहिए। तभी सच्चे अर्थो में हमारा समाज व्यसनमुक्त होगा और गावों में सुख-शांति हमेशा बनी रहेगी।

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