चमोली और अल्मोड़ा में फटा बादल, एक की मौत

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चमोली और अल्मोड़ा में बादल फटने एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि एक लापता है। बरसाती नदी में आए उफान से खेतों में मलबा भर गया। मलबा आने से गैरसैंण-चैखुटिया मार्ग पर भी यातायात ठप हो गया है। पुलिस और प्रशासन की टीम मौके के लिए रवाना हो गई है। हालांकि मौसम विभाग ने बादल फटने की घटना से इन्कार किया है।

चमोली जिले में गैरसैंण से 35 किलोमीटर किलोमीटर दूर मेहलचैरी कस्बे के पास लामबगड़ गांव है। ग्रामीणों के अनुसार शाम को करीब साढ़े छह बजे एकाएक बादलों की गड़गड़ाहट के साथ तेज बारिश शुरू हो गई। कुछ ही देर में पास मे बहने वाली बरसाती नदी में उफान पर थी। नदी में आया मलबा खेतों में भर गया। इससे गांव का पैदल रास्ता भी क्षतिग्रस्त हो गया।

स्थानीय निवासी मोहन सिंह और माधो सिंह ने बताया कि गांव के 82 वर्षीय बादर सिंह मवेशियों को चुगाने जंगल गए थे। अंधेरा होने पर भी जब वह घर नहीं लौटे तो परिजनों को चिंता हुई। ग्रामीण उनकी तलाश में निकले तो उनका शव बरसाती नदी के किनारे मिला। आशंका है वह भी उफान की चपेट में आ गए। चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि राहत व बचाव टीम मौके के लिए रवाना कर दी गई है। उन्होंने कहा कि टीम की रिपोर्ट मिलने पर ही कुछ कहा जा सकेगा।

अल्मोड़ा के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी राकेश जोशी ने बताया कि देर शाम खीढ़ा गांव के पास बादल फटने से पास की बरसाती नदी उफान आ गया। इससे गांव के चार मकान ध्वस्त हो गए और खेतों में मलबा भर गया। गांव से एक व्यक्ति भी लापता बताया जा रहा है। राजस्व विभाग की टीम मौके पर भेजी गई है।

यह बादल फटने की घटना नहीं: मौसम विभाग

राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि बादल फटने की घटनाएं मानसून के दौरान होती हैं। अभी प्री-मानसून भी सक्रिय नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि एक सीमित क्षेत्र में एक घंटे में साठ मिमी बारिश रिकार्ड की जाए तभी इसे बादल फटना कहा जाएगा, लेकिन इस क्षेत्र में आब्जर्वेटरी भी नहीं है। फिर भी इस मामले की तह तक जाया जाएगा।

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