जैविक खेती का संकल्प लेकर किसानों को आगे बढ़ना होगाः पांडे

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जहरीले कीटनाशक और रासायनिक खाद के दुष्परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं। मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर इसका सबसे बुरा असर पड़ रहा है। किसान अगर अब भी नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं जब मिट्टी में वनस्पति उगाने के लिए कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। गौलापार में शुक्रवार को इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव (इफको) की ओर से मृदा परीक्षण एवं संरक्षण आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने यह बात कही। भूमि की घटती उर्वरा शक्ति पर चिंता जाहिर की गई।

अपने आसपास के किसानों को जैविक खेती के लिए करें प्रेरित

इस मौके पर मुख्य अतिथि इफको के उप महाप्रबंधक बीएस सरोहा ने कहा कि अपनी भूमि को बचाना आज किसानों के लिए चुनौती बन चुका है। लंबे समय से भूमि का विदोहन करने से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होने लगी है। गोबर और जैविक तरीकों का प्रयोग करके ही भूमि को बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इफको अब जैविक तरल के रूप में भी उर्वरक तैयार कर रही है, जिसके लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रगतिशील किसान नरेंद्र सिंह मेहरा ने कहा कि आज हमारी जरूरत है कि हम जैविक उत्पाद पैदा करें और अपने आसपास के किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करें।

जैविक प्रशिक्षक अनिल पांडे ने कहा कि जैविक खेती का संकल्प लेकर किसानों को आगे बढ़ना होगा। कार्यक्रम का संचालन इफको के क्षेत्र प्रबंधक दीपक आर्या ने किया। इस अवसर पर इफको के मंडलीय प्रबंधक धर्मेंद्र सिंह, किसान राजेन्द्र सिंह चुफाल, हेमंत बगड़वाल, पूरन रावत, अर्जुन रावत, चंदन सिंह, बालम सिंह, रवि मेहरा, सुरेश मेहता प्रकाश पांडे सहित अन्य किसान मौजूद थे।

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