पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर भारतीय अर्थव्यवस्थाः पीएम मोदी

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बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दो दिन के दक्षिण कोरिया दौरे पर कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और यह जल्द ही पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। वह सियोल में भारत-कोरिया व्यापार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। मोदी ने कहा कि भारत अब पहले से अधिक खुली अर्थव्यवस्था है। पिछले चार साल में देश में 250 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने की अहम बातें।

  • दुनिया की कोई और बड़ी अर्थव्यवस्था इस तरह साल दर साल सात प्रतिशत की वृद्धि दर से नहीं बढ़ी है और भारत अब पहले से अधिक खुली अर्थव्यवस्था है।
  • 3 पिछले चार साल में देश में 250 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है। कोरिया भारत के टॉप 10 ट्रेड पार्टनर्स में शामिल है। हमारा व्यापार 2018 में 21.5 बिलियन तक पहुंच गया है।
  • आर्थिक सुधारों की बदौलत विश्व बैंक की कारोबार सुगमता सूची में बड़ी छलांग लगाते हुए भारत 77वें स्थान पर पहुंच गया है। अगले साल तक उन्होंने भारत को शीर्ष 50 कारोबार सुगमता वाले देशों की सूची में शामिल कराने का लक्ष्य रखा है।
  • चैथी औद्योगिक क्रांति के दौर में रिसर्च और इनोवेशन प्रेरक शक्ति होंगे। इस संबंध में, हमने भारत में चार साल पहले एक स्टार्टअप कार्यक्रम चालू किया था। इस इको-सिस्टम बनाने के लिए हमने 1.4 बिलियन डॉलर के फंड दिया है।
  • भारत अवसरों की भूमि के तौर पर उभरकर सामने आया है। सरकार का काम सहयोग की प्रणाली उपलब्ध कराना है
  • भारत अवसरों की भूमि के रूप में उभर रहा है। जब हम ‘इंडियन ड्रीम’ को साकार करने के लिए काम करते हैं, तो हम समान विचारधारा वाले भागीदारों की तलाश करते हैं। उन्होंने कहा कि हम दक्षिण कोरिया को सच्चे साझेदार के रूप में देखते हैं।
  • अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में आज हम दुनिया के छठे सबसे बड़े उत्पादक बन गए हैं। यह और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की हमारी पहल, भारत को हरित वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ने में सक्षम बनाएगी।
  • आज एफडीआई के लिए सबसे खुले देशों में से एक हम हैं। हमारे 90 फीसदी से अधिक सेक्टर में अब एफडीआई के लिए ऑटोमेटिक अनुमति मिल जाती है।
  • हम निकट भविष्य में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं। दुनिया में कोई अन्य बड़ी अर्थव्यवस्था साल दर साल 7 प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ रही है। जीएसटी की शुरुआत जैसे कठोर नीतिगत निर्णय लिए गए हैं।

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